भारत सरकार में सहायक सचिव के रूप में 3 महीने के कार्यकाल को पूरा कर रहे 2020 बैच के नए आईएएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने आज 2047 में उनकी भूमिका को पुनः परिभाषित

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ आह्वान का उल्लेख करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगले 25 वर्ष भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये वैश्विक स्तर पर भारत के उदय के वर्ष होंगे। इसलिए, वर्तमान समय के आईएएस अधिकारियों को यह विशेषाधिकार प्राप्त है क्योंकि उनके पास भरपूर समय है और उन्हें अगले 25 वर्षों में सक्रिय सेवा के माध्यम से ‘सेंचुरी इंडिया’ के सपने को साकार करने के लिए खुद को समर्पित करने का अवसर भी प्राप्त है।

इस बात को दोहराते हुए कि वर्तमान सिविल सेवकों के लिए सभी प्रशिक्षण मॉड्यूल को 2047 के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए डिजाइन करने की आवश्यकता है, मंत्री ने कहा कि 2022 के प्रिज्म द्वारा 2047 की कल्पना करना कठिन है और इसलिए 2047 के भारत से संबंधित विशेष सूचकांकों को निर्धारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यहां पर सवाल यह है कि 2047 में सिविल सेवकों की कितनी भूमिका होगी, सिविल सेवकों की क्या भूमिका क्या होगी और

डॉ जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि सहायक सचिव प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप की गई थी, जब 2013 बैच के अधिकारियों को पहली बार भारत सरकार के मंत्रालयों/ विभागों में सहायक सचिव के रूप में तैनात किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एलबीएसएनएए, मसूरी में फेज-II प्रशिक्षण पूरा होने के बाद युवा आईएएस अधिकारियों को उनके करियर की शुरुआत में ही भारत सरकार की कार्य पद्धति के संदर्भ में जानकारी प्रदान करना है। इन सहायक सचिवों को कुल 13 सप्ताह के लिए तैनात किया जाता है।

मंत्री ने कहा कि डीओपीटी द्वारा इस कार्यक्रम को 2015 से ही सफलतापूर्वक लागू किया जा रहा है और कहा कि इस प्रकार के एक्सपोजर से उन्हें राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को समझने और राष्ट्रीय नीतियों की विविधताओं का मूल्यांकन करने में मदद मिलती है। इसके माध्यम से वे भारत सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के व्यापक परिपे्रक्ष्य के प्रति संवेदनशील भी बनते हैं और अधिकारीगणों में एक प्रेरित परिवर्तन एजेंट बनने की संभावना प्रबल होती है, जब वे अपने कैडर राज्यों में वापस जाते हैं। 2019 में विशेष विषयों को भी शामिल किया गया और उस वर्ष भारत सरकार के ध्यानाकर्षण क्षेत्रों में से एक जल संरक्षण को इसमें जोड़ा गया।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी और नवाचार कार्य प्रतिपादन और कार्यान्वयन में कमियों को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मूल आवश्यकता जनकल्याण दृष्टिकोण के साथ लोक सेवकों का समर्पण और प्रतिबद्धता है, जिसका मतलब है कि सक्रिय रहने के साथ-साथ नागरिकों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील होना और उनकी समस्याओं के प्रति जागरूक रहना। उन्होंने कहा कि हमें सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है क्योंकि कोई भी समाज शांत रहकर समृद्ध नहीं हो सकता है और सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास की कमी के साथ अपनी क्षमता को प्राप्त नहीं कर सकता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें बताया गया कि 175 अधिकारियों के इस बैच में इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले अधिकारियों की संख्या 108 हैं जबकि चिकित्सा, प्रबंधन, कानून और कला पृष्ठभूमि वाले कई अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। उन्होंने बल देकर कहा कि यह बहुत ही प्रशंसनीय होगा अगर वे अपनी शैक्षिक पृष्ठभूमि का उपयोग इन बातों के लिए करते हैं कि मंत्रालय/ विभाग किस प्रकार से नवाचार कर सकते हैं, किस प्रकार से नए विचारों का उपयोग किया जा सकता है और किस तरह से बिचौलियों और लीकेज का पूर्ण रूप से उन्मूलन करते हुए प्रत्यक्ष रूप से नागरिकों को उच्च गुणवत्ता वाले आउटपुट प्रदान किए जा सकते हैं। मंत्री ने आशा व्यक्त किया कि टेक्नोक्रेट्स स्वास्थ्य, कृषि, स्वच्छता, शिक्षा, कौशल और गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के साथ न्याय करने में सक्षम होंगे, जो कि प्रौद्योगिकी पर आधारित और इसके द्वारा संचालित

डॉ जितेंद्र सिंह ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि आईआईपीए विभिन्न मंत्रालयों के साथ नॉलेज पार्टनर के रूप में कार्य कर रहा है और उनके प्रशिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों, लोक शासन और प्रशासन के नवीनतम रुझानों और प्रगति में शामिल है। इसमें इंडिया@2047 शामिल है, जो ‘भविष्य के लिए तैयार भारत’ के लिए एक विजन प्लान है और भारत की स्वतंत्रता के 100वें वर्ष के अनुकूल है; मिशन कर्मयोगी के अंतर्गत सिविल सेवाओं के लिए कंपीटेंसी फ्रेमवर्क, जो सिविल सेवकों को भविष्य के लिए ज्यादा रचनात्मक, सक्षम, ऊर्जावान, अभिनव, सक्रिय, पेशेवर, प्रगतिशील, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी सक्षम बनाकर तैयार करने की परिकल्पना करता है; भारत सुशासन और शासन के नए तरीकों के बारे में सोचता है जैसे पीएम गति शक्ति, जिसका उद्देश्यदक्षता बढ़ाने और लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने के लिए भारत में बुनियादी संरचना वाली परियोजनाओं के लिए समन्वित योजना बनाना और उसे पूरा करना है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के माध्यम से सुशासन के सार के रूप में लोगों की भागीदारी पर बल देते हैं। इसलिए, विश्वास शासन के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि जहां पर सुशासन की एक कुंजी प्रौद्योगिकी है, वहीं अनिवार्य रूप से दूसरी कुंजी नैतिक मानक है। प्रौद्योगिकी पारदर्शिता का पोषण करती है और इसलिए जवाबदेही को बढ़ावा देती है, जो कि सुशासन की मूल विशेषता है, जबकि नैतिक मानक इसे औचित्य प्रदान करते हैं। ये दोनों मिलकर एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत करते हैं, जो परिवर्तनकारी, पथ-प्रदर्शक सुधारों के लिए जमीन तैयार करते हैं। मंत्री ने कहा कि अब वे दिन समाप्त हो गए हैं जब हम अलगाव में काम करते थे, जिसने हमारे विकास को लंबे समय तक बाधित कर रखा था। आज यह विकास की दिशा में एक सर्वव्यापी, सर्व-समावेशी और सर्व-भागीदारी वाला अभियान है।

अपने समापन भाषण में, डॉ जितेंद्र सिंह ने युवा सिविल सेवकों से कहा कि आईआईपीए जैसे संस्थानों से ज्ञान प्राप्त करने से उन्हें विभिन्न तर्कसंगत निर्णय लेने संबंधित चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी, जिनका सामना वे राज्यों और जिलों में करेंगे और अधिकारियों को उनके भविष्य के सभी प्रयासों के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।

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