राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा 17 जून 2022 को नई दिल्ली में ‘व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा लेखा परीक्षा (ओएचएसए)’ विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। एनएमसीजी के महानिदेशक  श्री जी. अशोक कुमार ने कार्यशाला की अध्यक्षता की जिसमें राज्यों के हितधारकों और ठेकेदारों तथा विश्व बैंक एवं एनएमसीजी के अधिकारियों ने भाग लिया। इस आयोजन में भाग लेने वाले और ‘एसटीपी और सीवरेज नेटवर्क कंस्ट्रक्शन साइट्स एंड ऑपरेटिंग फैसिलिटीज में किए गए विशिष्ट सुरक्षा उपायों’ पर प्रस्तुति देने वाले ठेकेदारों में एलईए एसोसिएट्स साउथ एशिया, तोशिबा वाटर, वोल्टास लिमिटेड, एलएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर, वीए टेक वाबाग और शापूरजी पल्लोनजी शामिल थे। निर्माण और संचालन चरण के दौरान ‘सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और नेटवर्क्स में प्रमुख जोखिम व निवारण संबंधी रणनीतियां’ सहित दो तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए थे।

उद्घाटन भाषण देते हुए, एनएमसीजी के महानिदेशक श्री जी. अशोक कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त की कि कार्यशाला का आयोजन “एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू पर किया जा रहा है जिसे हड़बड़ी में आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है।” उन्होंने कहा कि स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन उन श्रमिकों की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेता है, जो परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और उनकी देखभाल के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, “सभी का जीवन हमारे लिए मायने रखता है और प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक व स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है।”

उन्होंने अपने स्वयं के जीवन के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उठाए गए कदमों का कार्य की प्रगति पर सीधा प्रभाव पड़ता है। “वर्ष 2005 में कडप्पा के जिलाधिकारी के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान, उन श्रमिकों के बच्चों के लिए एक स्कूल बनाया गया था जो जिले में एक बहुत बड़े मेडिकल कॉलेज का निर्माण कर रहे थे। हमने सभी बच्चों के लिए मुफ्त आवास, भोजन व कोचिंग प्रदान की और फिर उनकी सुरक्षा और सुविधा को सुनिश्चित किया। यह देखकर आश्चर्य हुआ कि काम के परिणाम में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई क्योंकि श्रमिक, विशेष रूप से महिलाएं, जो हमेशा कार्यस्थल पर अपने बच्चों की सुरक्षा के बारे में चिंतित रहती थीं, अब स्वतंत्र रूप से काम कर सकती हैं। उन्होंने काम की अपनी पारी को दोगुना कर दिया और परियोजना उम्मीद से पहले पूरी हो गई।”

श्री कुमार ने दोहराया कि श्रमिकों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए और किसी भी दुर्घटना से बचना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ओएसएचए एक दूसरे के अनुभवों से सीखने की दृष्टि से लाभकारी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे देश की सबसे प्रतिष्ठित परियोजनाओं में से एक है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि काम के निष्पादन के दौरान श्रमिकों के साथ भी अच्छा व्यवहार किया जाता है और किसी भी सुरक्षा या स्वास्थ्य खतरे का सामना नहीं करना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है जब इस तरह के कदम किसी और के इशारे पर नहीं बल्कि स्वयं द्वारा उठाए जाने चाहिए।

विश्व बैंक के वरिष्ठ पर्यावरण विशेषज्ञ श्री असफेरेचु अबते ने ‘परिचालन संबंधी स्वास्थ्य और सुरक्षा द्वितीय राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन योजना’ पर एक प्रस्तुति दी तथा प्रमुख व्यावसायिक स्वास्थ्य व सुरक्षा विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने व्यावसायिक गतिविधियों में होने वाली मौतों और निर्माण सुरक्षा के प्रमुख कारणों से संबंधित कुछ आंकड़े साझा किए। उन्होंने सुझाव दिया कि ज्ञान, प्रतिबद्धता, संसाधनों का आवंटन, संगठित दृष्टिकोण, नेतृत्व और श्रमिकों की भागीदारी एवं नियमित प्रशिक्षण कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम सभी को व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा में सुधार के लिए एक साथ काम करना चाहिए।

ओएसएचए का उद्देश्य सुरक्षित कामकाजी मानकों को स्थापित व लागू करके और प्रशिक्षण, सार्वजनिक पहुंच, शिक्षा और अनुपालन सहायता प्रदान करके कामकाजी पुरुषों व महिलाओं के लिए सुरक्षित एवं स्वस्थ परिस्थितियों को सुनिश्चित करना है। ओएचएस प्रबंधन निरंतर सुधार की प्रक्रिया है। एक उचित ओएचएस प्रणाली के लिए ओएचएस प्रथाओं, जोखिम मूल्यांकन, प्रशिक्षण, उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस, उचित संचार और घटनाओं की समय पर रिपोर्टिंग के लिए अच्छी योजना की आवश्यकता होती है।

इस कार्यशाला में इस बात पर बल दिया गया कि सुरक्षित कार्यस्थल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नियोक्ताओं की है। नियोक्ता को अपने कर्मचारियों को एक ऐसा कार्यस्थल प्रदान करना चाहिए जिसमें गंभीर खतरे न हों और उन्हें सभी ओएसएचए सुरक्षा व स्वास्थ्य मानकों का पालन करना चाहिए। कार्यशाला के दौरान, विश्व बैंक की सुरक्षा नीति के अनुसार आवश्यक ओएचएस प्रथाओं के विवरण पर भी चर्चा की गई। प्रशिक्षण के बाद लघु प्रश्नोत्तरी एवं चर्चा का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान ओएसएचए पर एक लघु फिल्म दिखाई गई और एक मासिक समाचार पत्र- सुरक्षा, पर्यावरण और स्वास्थ्य समाचार- बिहार में वोल्टास द्वारा प्रकाशित किया गया था, जिसे एनएमसीजी के महानिदेशक द्वारा भी जारी किया गया था।

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