“लापता” हुए सरकार के बकाएदार, पैन कॉर्ड, फर्म के टैन नंबर से तलाश रहा सरकारी विभाग

राजस्थान वाणिज्यिक कर विभाग के बकाएदार लापता है. तलाशने पर भी मिलने की संभावना कम है. राजस्थान सरकार को टैक्स नहीं चुकाकर कमाई करने वाले इन लापता लोगों और फर्मों की सूची भी सैंकड़ों नाम शामिल हैं, हालांकि कुल वसूली 30 हजार से अधिक लोगों से होनी है.

दरअसल लापता फर्मों और कारोबारियों की वजह देश में लागू हुआ नया टैक्स सिस्टम जीएसटी है. जीएसटी लागू होने के बाद अधिकतर फर्मो से वैट कलेक्शन बंद हो गया. जिन फर्मोँ के टैक्स लायबिलिटी के बकाए मामले चल रहे थे. वो अब पेंडिंग टैक्स चुकाने में आनाकानी कर रहे हैं. जयपुर में ही करीब 75 ऐसे बकाएदार है. जिन पर 1 करोड़ रुपए से अधिक की टैक्स जिम्मेदारी शेष है, इनकी कुल राशि 200 करोड़ रुपए तक है. इनमें से दो हजार फर्मों का बैंक अकाउंट भी अटैच किया गया है.

वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त प्रशासन हरफूल सिंह यादव का कहना है कि करीब 13 हजार करदाता वैट से जीएसटी की तरफ डायवर्ट हुए है. इन पर वैट से जुड़े बकाया भी है. इनमें अधिकतर मामले वैट मिसमैच, पेनल्टी सहित अन्य शुल्क है. विभाग अब इन लापता बकाएदारों को तलाशने की दिशा में कदम बढ़ रहा हैं.

राजस्थान वाणिज्यिक कर विभाग बजट घोषणाओं के तहत एमनेस्टी स्कीम 2022 का लाभ शेष करदाताओं को देने की तैयारी है. 600 करोड़ रुपए की बकाया मांगों का निस्तारण इस अवधि के दौरान करने की तैयारी है.

विभाग अक्टूबर महीने के अंत तक बकाएदारों को राहत दे रहा है, तय समयावधि में भी जो मामले शेष रहेंगे. उनपर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. जो लापता बकाएदार है उनको तलाशने का काम भी जोर शोर से चल रहा है. सभी टैक्सपेयर्स को इससे जुड़े नोटिस भिजवा दिए गए है. विभाग को उम्मीद यहीं है कि शेष टैक्स जिम्मेदारी में से 50 फीसदी लक्ष्य पा लिया जाए.

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